प्रोग्रामिंग क्या है ?

प्रोग्रामिंग क्या है ?
सामान्य जीवन में हम किसी कार्य विशेष को करने का निश्चय करते हैं तो उस कार्य को करने से पूर्व उसकी रूपरेखा सुनिश्चित की जाती है । कार्य से सम्बन्धित समस्त आवश्यक शर्तों का अनुपालन उचित प्रकार हो एवं कार्य में आने वाली बाधाओं पर विचार कर उनको दूर करने की प्रक्रिया भी रूप रेखा तैयार करते समय महत्वपूर्ण विचारणीय विषय होते हैं । कार्य के प्रारम्भ होने से कार्य के सम्पन्न होने तक के एक-एक चरण (step) पर पुनर्विचार करके रूपरेखा को अन्तिम रूप देकर उस कार्य विशेष को सम्पन्न किया जाता है । इसी प्रकार कम्प्यूटर द्वारा, उसकी क्षमता के अनुसार, वांछित कार्य कराये जा सकते हैं । इसके लिए आवश्यकता है कम्प्यूटर को एक निश्चित तकनीक व क्रम में निर्देश दिए जाने की, ताकि कम्प्यूटर द्वारा इन निर्देशों का अनुपालन कराकर वांछित कार्य को सम्पन्न किया जा सके । सामान्य बोल-चाल की भाषा में इसे प्रोग्रामिंग कहा जाता है ।
कम्प्यूटर को निर्देश किस प्रकार दें ?
कम्प्यूटर को निर्देश योजनाबद्ध रूप में, अत्यन्त स्पष्ट भाषा में एवं विस्तार से देना अत्यन्त आवश्यक होता है । कम्प्यूटर को कार्य विशेष करने के लिए एक प्रोग्राम बनाकर देना होता है । दिया गया प्रोग्राम जितना स्पष्ट, विस्तृत और सटीक होगा, कम्प्यूटर उतने ही सुचारू रूप से कार्य करेगा, उतनी ही कम गलतियां करेगा और उतने ही सही उत्तर देगा । यदि प्रोग्राम अस्पष्ट होगा और उसमें समुचित विवरण एवं स्पष्ट निर्देश नहीं होंगे तो यह सम्भव है कि कम्प्यूटर बिना परिणाम निकाले ही गणना करता रहे अथवा उससे प्राप्त परिणाम अस्पष्ट और निरर्थक हों ।कम्प्यूटर के लिए कोई भी प्रोग्राम बनाते समय निम्न बातों को ध्यान में रखना आवश्यक है –
1. समस्या का सावधानीपूर्वक अध्ययन करके निर्देशों को निश्चित क्रम में क्रमबद्ध करना ।
2. निर्देश इस प्रकार लिखना कि उनका अक्षरशः पालन करने पर समस्या का हल निकल सके ।
3. प्रत्येक निर्देश एक निश्चित कार्य करने के लिए हो ।

प्रोग्रामिंग के विभिन्न चरण 
किसी भी प्रोग्राम की प्रोग्रामिंग करने के लिए सर्वप्रथम प्रोग्राम के समस्त निर्देष्टीकरण को भली-भांति समझ लिया जाता है । प्रोग्राम में प्रयोग की गई सभी शर्तों का अनुपालन सही प्रकार से हो रहा है अथवा नहीं, यह भी जांच लिया जाता है । अब प्रोग्राम के सभी निर्दिष्टीकरण को जांचने-समझने के उपरान्त प्रोग्राम के शुरू से वांछित परिणाम प्राप्त होने तक के सभी निर्देशों को विधिवत क्रमबद्ध कर लिया जाता है अर्थात प्रोग्रामों की डिजाइनिंग कर ली जाती है । प्रोग्राम की डिजाइन को भली-भांति जांचकर, प्रोग्राम की कोडिंग की जाती है एवं प्रोग्राम को कम्पाइल किया जाता है । प्रोग्राम में टेस्ट डेटा इनपुट करके प्रोग्राम की जांच की जाती है कि वास्तव में सही परिणाम प्राप्त हो रहा है अथवा नहीं । यदि परिणाम सही नहीं प्राप्त होते हैं तो इसका अर्थ है कि प्रोग्राम के किसी निर्देश का क्रम गलत है अथवा निर्देश किसी स्थान पर गलत दिया गया है । यदि परिणाम सही प्राप्त होता है तो प्रोग्राम में दिए गए निर्देशों के क्रम को एकबद्ध कर लिया जाता है एवं निर्देशों के इस क्रम को कम्प्यूटर में स्थापित कर दिया जाता है । इस प्रकार प्रोग्रामिंग की सम्पूर्ण प्रक्रिया सम्पन्न होती है 

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